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एक सितारा हुआ अस्त - नासिर अली सैयद

by Niklesh Jain - 30/05/2018

एक ऐसे शख्स जिन्होने ताउम्र शतरंज को खेला जी नहीं बल्कि उसे जिया । पूर्व नेशनल चैम्पियन नासिर अली सैयद जी नहीं रहे और 64 खानो की दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए । बेहद विनम्र और खेल को बेहद प्यार करने वाले नासिर जी 1960-70 के दशक के सबसे बेहतरीन शतरंज खिलाड़ियों में गिने जाते थे । उस दौरान उन्होने कई नामी गिरामी ग्रांड मास्टरो को भी पराजित किया , मध्य भारत और खास तौर पर हिन्दी भाषी क्षेत्र जहां पर शतरंज का साहित्य भी उपलब्ध ना था वह सबसे बेहतरीन खिलाड़ी थे ।1967 मे नेशनल चैम्पियन बने । निश्चित तौर पर ना सिर्फ उनका खेल बल्कि उनका स्वभाव भी उन्हे एक बेहतरीन इंसान बनाता था । और भारतीय शतरंज जगत के वह एक अद्भुत प्रतिनिधि थे ।

तकरीबन 2007 के दौरान मैं पहली बार उनसे मिला था और कारण था उनके चाल चलने और घड़ी दबाने का तरीका , वह किसी युवा खिलाड़ी से मैच खेल रहे और और वह युवा खिलाड़ी बेहद ही ज़ोर से आवाज करते हुए ना सिर्फ चाल चल रहा था बल्कि उतनी ही ज़ोर से तेज आवाज में घड़ी भी दबा रहा था पर नासिर अली जी उतनी ही शालीनता से चाल चलकर घड़ी दबा रहे थे ,और जल्द ही मैच में जीत दर्ज करने में सफल रहे । इतना संयम उनके अलावा मैंने कभी नहीं देखा । शायद यही कारण रहा की उम्र के 9 वे दशक में भी वह खेलना जारी रख सके ।

1936 में जन्मे नासिर अली सैयद जी के रेटिंग चार्ट 2000 से 2017 के दौरान मतलब 64 वर्ष की आयु से 82 वर्ष की आयु तक !

मेरे सौभाग्य रहा की उनका मुझे हमेशा व्यक्तिगत स्नेह मिला और मेरे आयोजन सचिव रहते हुए सायना ओपन के हर संस्करण 2009 , 2016 & 2017 में उन्होने प्रतिभागिता की और हमें अपना आशीष दिया । वह हमेशा कहते थे की निकलेश आप अच्छा काम कर रहे हो और मैं बस सुनता रहता था , क्यूंकी कभी कभी ऐसे व्यक्तित्व का कुछ भी कहना सही मायने में अपने आप के कार्य को सार्थकता देता है । और अब यही उनके मेरे बीच रहे व्यक्तिगत संबंध की पूंजी है ,आज सुबह उनके निधन की खबर मिलते ही लगा जैसे मैंने अपने जीवन में कुछ महत्वपूर्ण खोया है , अब मैं उनसे नहीं मिल सकूँगा यह एक बड़ा दुख रहेगा पर मैं उन्हे जानता था और उनका आशीर्वाद लेता रहा इस बात पर ताउम्र गर्व भी रहेगा । ईश्वर इनकी आत्मा को शांति प्रदान करे । भारतीय शतरंज जगत नें अपना बेहद मूल्यवान सितारा खोया है ।

 

निकलेश जैन 


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