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जब तक खेल का आनंद आएगा तब तक खेलूँगा - आनंद

by चेसबेस इंडिया - 07/10/2017

वह कोई सामान्य इंसान नहीं है ,भारत ही नहीं विश्व शतरंज में उनका नाम बेहद सम्मान से लिया जाता है । 48 वर्ष की उम्र में भी वह अपने से आधी से भी कम उम्र के युवाओं को अपने प्रदर्शन से चौंकाते नजर आते है ,भारत के राष्ट्रीय ध्वज से उनका खास जुड़ाव हमेशा रहा है तो फिलहाल खेल से सन्यास लेने का उनका कोई इरादा नहीं है और अभी वह अपने खेल का भरपूर आनंद उठा रहे है । पाँच बार के विश्व विजेता भारत के विश्वानाथन आनंद नें आइल ऑफ मैन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन और उपविजेता बनने के बाद चेसबेस इंडिया को दिये एक साक्षात्कार में अपने खेल से लेकर अपने सन्यास की खबरों के बारे में बात की । पढे यह लेख । 

उनके प्रदर्शन के बारे में उन्होने बताया की पिछले वर्ष ओपन टूर्नामेंट में वह खराब खेले थे और इस विश्व कप में भी वह उतना अच्छा नहीं खेल पाये उसके पीछे मैच के दौरान वह दिमाग की शांतचित्त अवस्था नहीं हासिल कर पा रहे थे  और इसी वजह से बोर्ड पर ज्यादा अच्छे निर्णय नहीं ले पा रहे थे जबकि  इस टूर्नामेंट में परिणाम की परवाह ना करते हुए वह हर मैच के दौरान शांत थे और अच्छे  निर्णय ले पा रहे थे और अंतिम दो मैच में वह बेहतर खेल सके ।

जब उनसे पूछा गया की इस टूर्नामेंट की तैयारी उन्होने कैसे की तो उन्होने बताया की उन्होने बिलकुल भी तैयारी नहीं की थी क्यूंकी विश्व कप के बाद ना तो उनके पास समय था और ना ही तैयारी करने का उनका मन था । उन्होने कहा की मैंने थोड़ा विश्राम किया और अपने खेल का आनंद उठाया !  अपने आगे के कार्यक्रम के बारे में उन्होने बताया की वह दिसंबर में लंदन चेस क्लासिक और जनवरी में टाटा स्टील ग्रांड मास्टर टूर्नामेंट में खेलेंगे ।

इस टूर्नामेंट में अपने सबसे अच्छे मैच के बारे में उन्होने बताया की उन्हे तीसरे राउंड में जर्मनी के निकोलस लुबे और अंतिम राउंड में विश्व  की नंबर एक महिला खिलाड़ी चीन की हाऊ ईफ़ान के खिलाफ खेली बाजी उनके सबसे अच्छे मैच थे । 

इंटरनेशनल मास्टर सागर शाह नें उनके इस खेल का शानदार विश्लेषण किया था देखे और हमारे यू ट्यूब चैनल से जुड़े 

तीसरे राउंड के खेल मे राजा की स्थिति को उन्होने बेहद महत्वपूर्ण माना 

 

जब उनसे पूछा गया की अँग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर में इंटरनेशनल मास्टर लंका रवि नें उन्हे सन्यास लेने की सलाह दी थी इस पर उनका क्या कहना है तो उन्होने कहा की मुझे नहीं पता की कुछ लोगो को क्यूँ लगता है की मुझे अब सन्यास ले लेना चाहिए , मैंने अपने प्रसंशकों के कई संदेश पढे है और कुछ तो मेरे दिल को छू जाते है और मेरा जबाब है की जब तक मुझे खेलेने में अच्छा लगता है आनंद आता है तब तक मैं खेलूँगा । 

जब उनसे पूछा गया की किसी एक टूर्नामेंट में जहां 30 भारतीय खेल रहे थे उन्हे खेलकर कैसा लगा उन्होने कहा की यहाँ एक रोचक समस्या हुई , सामान्य तौर पर इतने वर्षो में मैंने सिर्फ शीर्ष खिलाड़ियों के साथ राउंड रॉबिन मैच खेले है जहां मेरे लिए भारतीय तिरंगा देखकर मेरा टेबल पहचानना आसान काम होता था पर यहाँ हर तरफ भारतीय ध्वज होते थे ऐसे में मुझे अपना टेबल पहचानने के लिए अपने विरोधी का राष्ट्र ध्वज देखना होता था । मुझे सभी से मिलकर खुशी हुई । 

देखे उनका पूरा इंटरव्यू चेसबेस इंडिया यू ट्यूब चैनल पर और जुड़े हमसे शतरंज की हर खबर के लिए -

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